By Saurav Pandey| August 13, 2025
“मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवला, ‘किस पथ से जाऊँ?’ असमंजस में है वह भोलाभाला, अलग-अलग पथ बतलाते सब, पर मैं यह बतलाता हूँ — ‘राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला।'”
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“वृक्ष हों भले खड़े, हों घने, हों बड़े, एक पत्र छहाँ भी मांग मत, मांग मत, मांग मत, अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!”
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“लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।”
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“आज न दीप जलाओ, निशा को निमंत्रण दो, आज अंधेरे से बातें कर लें, आज अकेले रह लें।”
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“बिना मांगे मोती मिले, बिना मांगे द्वार खुले, बिना मांगे मिले, तो क्या मांगने का मोल रहे?”
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“मृत्यु तुम्हारा नाम नहीं, तुम तो प्रेम की परिभाषा हो, तुम्हारे आगोश में जीवन का अंतिम उत्सव मनता है।”
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“सूरज कभी अंधेरे से नहीं डरता, अंधेरा हो, तो सूरज उग आता है।”
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“जीवन की आपाधापी में, कब वक्त मिला कुछ देर कहीं पर बैठ कभी यह सोच सकूँ जो किया, कहा, माना, उसमें क्या बुरा भला।”
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“एकांत के संगीत में जब तनहा बैठता हूँ, तब लगता है मुझसे कोई बातें करता है।”
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“मैं चलता हूँ, वह भी चलता है, मैं रुक जाऊँ, वह भी रुक जाता है, क्या मैं हूँ वह, या वह है मैं, यह सोचता हूँ और मुस्कुराता है।”
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